ऐसे रोक रही दुनिया सोशल मीडिया पर झूठी खबरों को

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया साइट्स पर फैल रही झूठी खबरों पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को 3 हफ्ते का वक्त दिया है। तीन हफ्ते में केंद्र को सोशल मीडिया के जरिए फैलाने वाली फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए गाइडलाइंस बनाने की खातिर एक निश्चित टाइमलाइन के साथ ऐफिडेविट फाइल करना है। कोर्ट का यह निर्देश ऑनलाइन अफवाहों और फेक विडियोज के कारण हुईं हालिया घटनाओं के बाद आया है। आइए जानते हैं कि दुनिया के दूसरे मुल्क सोशल मीडिया पर फैलाने वाली फेक न्यूज से कैसे निपट रहे हैं।

मलेशिया पिछले साल एंटी-फेक न्यूज लॉ पास करने वाले शुरुआती देशों में है। मलेशिया में फेक न्यूज फैलाने पर 500,000 मलेशियाई रिंग्गित (85 लाख रुपये) का जुर्माना या 6 साल तक की जेल हो सकती है।

सिंगापुर के ड्रॉफ्ट लॉ में सार्वजनिक हितों को नुकसान पहुंचाने वाली ऑनलाइन झूठी खबर फैलाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की जेल का प्रस्ताव है। वहीं, अगर सोशल मीडिया साइट्स ऐसे कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहती हैं तो उनको 1 मिलियन सिंगापुर डॉलर (करीब 5 करोड़ रुपये) तक का फाइन देना पड़ सकता है। आम व्यक्ति को भी सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट बदलने और हटाने के लिए कहा जा सकता है। अगर वह व्यक्ति नियमों का पालन नहीं करता है तो उसे 20,000 सिंगापुर डॉलर (करीब 10 लाख रुपये) का फाइन देना पड़ सकता है और 12 महीने तक की जेल हो सकती है।

चीन ने पहले ही ट्विटर, गूगल और वॉट्सऐप जैसी ज्यादातर सोशल मीडिया साइट्स और इंटरनेट सर्विसेज को ब्लॉक कर रखा है। इसके अलावा, चीन में हजारों साइबर पुलिस पर्सनल हैं, जो कि सोशल मीडिया को मॉनिटर और कंटेंट को स्क्रीन करते हैं।

रूस में मार्च 2019 में बना कानून राज्य का अनादर करने वाली झूठी खबरें और सूचनाएं फैलाने वाले व्यक्ति और कंपनियों को दंडित करता है। झूठी खबरें फैलाने पर पब्लिकेशन को 1.5 मिलियन रूबल्स (16 लाख रुपये) तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। वहीं, राज्य के सिम्बल और अथॉरिटीज का अनादर करने पर 300,000 रूबल्स (करीब 3 लाख रुपये) का फाइन देना पड़ सकता है। वहीं, दूसरी बार यह अपराध करने पर 15 दिन की जेल भी हो सकती है।

2017 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल से जुड़े आरोपों के बाद फ्रांस ने पिछले साल अक्टूबर में दो एंटी-फेक न्यूज लॉ पास किए हैं। यह कानून फ्रेंच ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी को झूठी खबरें फैलाने वाले किसी भी नेटवर्क को ऑफ एयर करने का अधिकार देता है।
ऑस्ट्रेलिया में कंपनी के टर्नओवर का 10% तक जुर्माना
ऑस्ट्रेलिया ने इस साल की शुरुआत में एक कानून पास किया है, जिसमें सोशल मीडिया से आतंकवाद, मर्डर, रेप या किसी दूसरे गंभीर अपराध से जुड़ा कंटेंट हटाने में नाकाम रहने पर कंपनी के टर्नओवर का 10 फीसदी तक जुर्माना और उसके एग्जिक्यूटिव को 3 साल तक की जेल हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया में संबंधित कानून से जुड़े नियमों का पालन न करने पर आम लोगों को 1,68,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 80 लाख रुपये) और कंपनियों को 4 करोड़ रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है।

जर्मनी का NetzDG उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनके देश में 20 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। कानून के तहत कंपनियों को 24 घंटे के भीतर फेक न्यूज से जुड़ी शिकायतों की समीक्षा करनी पड़ती है और आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना पड़ता है। नियमों का पालन न करने की स्थिति में आम लोगों को 5 मिलियन यूरो (करीब 40 करोड़ रुपये) और कंपनियों को 50 मिलियन यूरो (करीब 400 करोड़ रुपये) की पेनॉल्टी देनी पड़ सकती है।