सोशल इंजीनियरिंग के अपने प्रयोग पर एक बार फिर आगे बढ़ने की तैयारी बसपा प्रमुख
सपा से गठबंधन में बसपा की सीटें जरूर आधी रह गई हैं पर, सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग जारी रखने के संकेत हैं। हिस्से में आईं 38 सीटों के सहारे बसपा आधी सीटें ब्राह्मण व अनुसूचित जातियों में बांटने की तैयारी कर रही है। शेष आधी सीटें मुस्लिम, पिछड़ा वर्ग व अन्य जातियों के हिस्से में आएगी।
सत्ता में आने के लिए बसपा के तमाम प्रयोगों में अब तक ब्राह्मण-मुस्लिम-दलित (बीएमडी) गठजोड़ ही सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाने में सफल रहा है। इसी फार्मूले के बल पर बसपा 2007 के विधानसभा चुनाव में अपने बलबूते सत्ता पर काबिज हुई थी। कमोवेश यही प्रयोग बाद के सभी चुनावों में आजमाया गया है लेकिन सफल नहीं हुआ।
इसके बावजूद पार्टी सोशल इंजीनियरिंग के अपने प्रयोग पर एक बार फिर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है। जानकार बताते हैं कि बसपा को सुरक्षित 17 में से 10 सीटें मिली हैं। इनमें नगीना से मायावती स्वयं चुनाव लड़ सकती है। बाकी अन्य नौ सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार रहेंगे ही। इसके अलावा सर्वाधिक नौ सीटें ब्राह्मणों को ही दिए जाने के संकेत हैं।
बताया जा रहा है कि अंबेडकरनगर से राकेश पांडेय, खलीलाबाद से भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी, फतेहपुर सीकरी से सीमा उपाध्याय, भदोही से रंगनाथ मिश्र, प्रतापगढ़ से अशोक तिवारी, सीतापुर से नकुल दूबे, कैसरगंज से संतोष तिवारी को मौका मिल सकता है। मऊ के साथ ही एक अन्य सीट पर भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा जा सकता है। इसके बाद मुस्लिमों को भागीदारी मिलने की संभावना है।