मोदी की होने वाली अमेठी यात्रा से बढ़ गया है प्रदेश का सियासी पारा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 03 मार्च को अमेठी की होने वाली यात्रा ने प्रदेश का सियासी पार बढ़ा दिया है। अमेठी कहने को तो एक छोटा सा जिला भर है, लेकिन इसका सियासी रसूख कई लोगों की ‘आंख की किरकिरी’ बना रहता है। अमेठी 1980 से गांधी परिवार का मजबूत गढ़ रहा है। संजय गांधी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी यहां के सांसद हैं। अपवाद के रूप में सिर्फ एक बार 1998 में यहां से भाजपा का सांसद चुना गया था। विरोधी दल का कोई भी नेता गांधी परिवार को यहां से कभी भी मजबूत चुनौती नहीं दे पाया। यहां तक कि 2014 की मोदी लहर में भी अमेठी की जनता ने गांधी परिवार पर ही भरोसा किया था। यह और बात थी कि भाजपा ने पहली बार यहां कांग्रेस के राहुल गांधी को जबर्दस्त टक्कर दी थी।

अमेठी लोकसभा चुनाव के इतिहास में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ऐसी नेत्री बनकर उभरीं जिन्हें राहुल के खिलाफ तीन लाख सात सौ अड़तालिस वोट मिले थे, जबकि इससे पहले 1998 में कांग्रेस से बगावत करके भाजपा के टिकट से चुनाव जीतने वाले संजय सिंह को भी मात्र दो लाख पांच हजार पच्चीस वोट मिल पाये थे। 2014 में भाजपा प्रत्याशी ईरानी को हार का सामना तो जरूर करना पड़ा था, लेकिन उनकी लोकप्रियता का ग्राफ शिखर पर पहुंच गया। 2014 में जब स्मृति को यहां से प्रत्याशी बनाया गया था तो कांग्रेस ने उनको बाहरी बता कर घेरा था, लेकिन पिछले पांच वर्षों में स्मृति ने अमेठी की सड़क और गलियों में घूम−घूम कर यह साबित कर दिया कि ‘बाहरी’ होने के बाद भी वह अमेठी वासियों के प्रति मौजूदा सांसद राहुल गांधी से अधिक वफादार हैं। पांच वर्षों से स्मृति ने यहां अपनी मजबूत पैठ बनाई है, जिसके चलते अबकी बार यहां से राहुल गांधी का चुनाव जीतना बहुत आसान नहीं लगता है। राहुल गांधी के लिए अगर राहत की बात यही है कि सपा−बसपा गठबंधन ने उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारने का निर्णय लिया है, जिसके चलते बीजेपी को यहां राहुल को चुनौती देना बहुत आसान नहीं होगा। मगर चुनावों में जीत झुके हुए कंधे नहीं दिलाते हैं। इसीलिए भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।

एक तरफ स्मृति ईरानी अमेठी में अपनी जड़ें जमा रही हैं तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आम चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘नकेल’ कस कर अपने हाथ में रखना चाहते हैं। बीजेपी के रणनीतिकार चाहते हैं कि अमेठी में राहुल को घेर कर कांग्रेस को ऐसी ‘सियासी चोट’ दी जाए जिससे राहुल गांधी सहित पूरी कांग्रेस को संभलना मुश्किल हो जाए। इसके लिए अमेठी से अच्छी जगह कोई हो नहीं सकती है। भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में पुनः वापसी हो, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी चुनावी मोड में हैं। वह जिले−जिले घूमकर योजनाओं की सौगात बांट रहे हैं, जो जिला जितना महत्वपूर्ण है, जहां की बात पूरे देश में सुनी जाती है, उस जिले को उतना महत्व दिया जा रहा है। इसी कड़ी में तीन मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में आगमन हो रहा है। तीन मार्च की तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के कुछ दिनों बाद (सात मार्च के बाद कभी भी) आम चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है।

प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर अंतिम रूप दिया जा रहा है। अमेठी में अब तक जो विकास हुआ है उसको और गति देने के लिए प्रधानमंत्री अमेठी में तमाम योजनाओं का पिटारा खोल सकते हैं। आपको बता दें कि अमेठी के मुंशीगंज स्थित ऑर्डिनेंस फैक्टरी में अब एके−103 रायफल तैयार करने के लिए ऑर्डिनेंस फैक्टरी में नई यूनिट लगाई जा रही है। यह प्रोडक्ट पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पर आधारित होगा। यानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस मेक इन इंडिया की खिल्ली उड़ाते हैं, वह ‘इंडिया’ उनके संसदीय क्षेत्र में साकार होता नजर आयेगा।
आम चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने प्रतिष्ठित कलाश्निकोव रायफलों को अमेठी में तैयार कराने की परियोजना को हरी झंडी देकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बात का अहसास करा दिया है कि विकास के मसले पर वह अपनी पीठ न ही थपथपाएं तो बेहतर रहेगा। मोदी सरकार ने कोरवा में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में रूस के साथ संयुक्त उद्यम में लगभग 7.5 लाख असॉल्ट रायफल बनाने की परियोजना को मंजूरी दे दी है। 03 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परियोजना का उद्घाटन करने के लिए पहुंच सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार 7.62.39 मिमी कैलिबर वाली एके−203 बंदूकें प्रसिद्ध एक−47 रायफल का लेटेस्ट वर्जन है। रूस की फर्म कलाश्निकोव कंसर्न के साथ मिलकर राज्य−संचालित आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) माल तैयार करेगा। बताया जा रहा है कि तकरीबन 7.5 लाख रायफल तैयार होंगी। इन रायफलों की खासियत होगी कि ये पानी के अंदर भी काम करने में सक्षम होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेठी से 19 साल पुराना रिश्ता है। प्रधानमंत्री यहां पहली बार 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जनसभा के लिए आये थे और दूसरी बार 2014 के आम चुनाव में प्रचार खत्म होने के ठीक पहले स्मृति ईरानी के पक्ष में कौहार में जनसभा को संबोधित करने आये थे। मोदी की जनसभा ने स्मृति ईरानी की जीत−हार के अंतर को काफी कम कर दिया था।

यहां एक और घटना का जिक्र करना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता टि्वटर पर किसी से छिपी नहीं है। उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या वैसे तो साढ़े चार करोड़ से भी अधिक है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी स्वयं दो हजार एक सौ 22 लोगों को फॉलो करते हैं। इस लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ अमेठी के दो युवा भी शामिल हैं। एक पेशे से किसान है तो दूसरा इंजिनियर। प्रधानमंत्री द्वारा फॉलो किये जा रहे दोनों युवा अमेठी बीजेपी के आईटी सेल के संयोजक हैं। दोनों युवा इस बात से खासे उत्साहित हैं कि जिसे पूरी दुनिया फॉलो कर रही है, वे उन्हें फॉलो कर रहे हैं।