गुजरात विस चुनाव : भाजपा के मौजूदा विधायकों को किस बात का सता रहा है डर

अहमदाबाद। गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को दो चरणों में चुनाव है। उम्मीदवार चुनने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों माथापच्ची कर रही हैं, लेकिन जो फॉर्मूला बीजेपी को उत्तर प्रदेश और दिल्ली एमसीडी में जीत दिला गया, वो गुजरात के बीजेपी विधायकों को डरा रहा है। गुजरात में 20 साल से राज कर रही बीजेपी चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ उम्मीदवार चुनने में जुट गई है। मौजूदा विधायक डरे हुए हैं कि अगर यूपी या दिल्ली एमसीडी का फॉर्मूला यहां भी इस्तेमाल हुआ तो बहुत सारे नेताओं के टिकट कट सकते हैं। हालांकि फिलहाल पार्टी के नेता एक सुर में एकजुटता की बात कर रहे हैं। जो जानकारी अब तक हासिल हुई है, उसके मुताबिक गुजरात संसदीय समिति की बैठक 6 दिन चली, जिसमें राज्य की एक-एक सीट पर चर्चा हुई। हर सीट पर तीन-तीन नाम तय हो चुके हैं और आखिरी फैसला जल्द हो जाएगा।
भाजपा के उलट कांग्रेस को राज्य में एक तरह से बिल्कुल नई शुरुआत करनी है। पाटीदार आंदोलन, पिछड़ा आंदोलन और दलित आंदोलन के युवा उसके सथ जु़ड़ रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस को बीजेपी के अंदरूनी टकराव से उम्मीद है। भाजपा चुनावों में नए चेहरों को मौका देना चाहती है, ऐसे में पुराने नेताओं में खलबली लाजिमी है। क्रिकेट में कहावत है कि कप्तान अपने विनिंग फॉर्मूले को तक तक नहीं बदलता जब तक जरूरत न हो।