पाक का फरेब नहीं आया काम…..
नई दिल्ली। एक कहावत है कि फरेब की उम्र लंबी नहीं होती है। ये बात अलग है कि लोग अपने फायदे के लिए फरेब का सहारा लेते हैं। अगर आम लोग फरेब करें तो शायद वक्त के साथ लोग उसे भूल जाते हैं। लेकिन फरेब ही किसी देश की घोषित नीति हो तो उस पर आप क्या कहेंगे। पाकिस्तान अपने उदय से लेकर आज तक फरेब की नीति पर ही काम करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब भारतीय विदेश मंत्री ने दमदार तरीके से अपनी बात रखी तो पाकिस्तान तिलमिला उठा। पाकिस्तान की स्थाई प्रतिनिधि मलिहा लोधी ने भारत को कश्मीर के मुद्दे पर जमकर घेरा। भारत की घेरेबंदी में मलीहा भूल गईं कि जिस तस्वीर के जरिए वो भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा जुल्म-ओ-सितम का जिक्र कर रही थीं। वो सिर्फ और सिर्फ फरेब था। दुनिया के दूसरे मुल्कों की आंखों में धूल झोंका जा रहा था, लेकिन शुक्र है सोशल मीडिया का जिसमें उनका झूठ पकड़ा गया। आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है।
आतंकवाद के मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जोरदार जवाब से तिलमिलाए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में भी नापाक हरकत कर ही दी। सुषमा के संबोधन पर ह्यराइट टू रिप्लाईह्ण के तहत जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कश्मीर के मसले पर पूरी दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की और इस क्रम में अपने ही देश को शमर्सार कर डाला। लोधी ने भारत पर कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए कथित रूप से पैलेट गन से घायल 17 साल की एक ऐसी लड़की की तस्वीर दिखाई, जिसके पूरे चहरे पर जख्म के निशान हैं। उन्होंने कहा कि यही भारतीय लोकतंत्र का चेहरा है। लेकिन मलीहा जो तस्वीर दिखा रही थीं, वह वास्तव में गाजा पट्टी के एक अस्पताल में इलाज कराते वक्त ली गई फलस्तीनी लड़की राव्या अबू जोमा की थी। वह 2014 में इजरायल के हमले में घायल हो गई थी। राव्या के घर पर बमबारी हुई थी, जिसमें उसके तीन चचेरे भाइयों और उसकी बहन की मौत हो गई थी। इस तस्वीर को प्रख्यात फोटो पत्रकार हेइदी लेवाइन ने खींचा था। गाजा में खींची गई तस्वीरों के लिए उन्हें इंटरनेशनल वूमेंस मीडिया फाउंडेशन ने पुरस्कृत भी किया था। यूरोमेडिटरेनियन ह्यूमन राइट्स मॉनिटर के संस्थापक डॉ. रैमी आब्दू ने अपने ट्विटर हैंडल पर यह तस्वीर 27 मार्च 2015 को साझा की थी।
जानकारों की मानें तो, आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि पाकिस्तान अब एक्सपोज हो चुका है। पिछले 70 साल से वो दुनिया को बेवकूफ बनाता रहा है। लेकिन मलीहा लोधी ने जिस साक्ष्य को विश्व मंच को दिखाया उससे साफ है कि पाक हमेशा बदनीयती से काम करता रहा है। दुनिया को अपने पाले में लाने की कोशिश पाकिस्तान की तरफ से होती रही है, हालांकि अब उसका परम मित्र चीन भी किनारा कर चुका है। चीन ने साफ किया कि अब वो कश्मीर मुद्दे पर दखल नहीं देगा। इसके अलावा ट्रंप प्रशासन के रुख में किसी तरह की नरमी नहीं है। ट्रंप प्रशासन मानता है कि आतंकियों को लेकर पाकिस्तान की कथनी और करनी में फर्क है, लिहाजा उन्हें ये साबित करना होगा कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं करेंगे।
भारत के प्रहार से उबरने की कोशिश में पाकिस्तान ने किसी कनिष्ठ नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र में तैनात अपनी दूत मलीहा लोधी को ही उतार दिया। लोधी ने भारत को ‘उलटा चोर कोतवाल को डांटे’ के अंदाज में आरोपों के कठघरे में खड़ा करने की भरपूर कोशिश की। पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने भारतीय लेखिका अरुंधति रॉय के बयानों का सहारा लिया। रॉय ने कहा था कि जो भारत में हो रहा है, वह पूरी तरह आतंक है। फिर लोधी भारत के कथित धर्मनिरपेक्षतावादियों के उन बोलों पर आ गईं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फासिस्ट व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ उन्मादी के रूप में चित्रित किए जाते रहे हैं। उन्होंने भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में आदित्यनाथ की नियुक्ति पर भी सवाल उठा दिए। लोधी ने कहा, मोदी सरकार फासिस्ट मानसिकता के तहत काम कर रही है। वह आगे बोलीं कि भारत सरकार का नेतृत्व आरएसएस की विचारधारा से निकला है।
सुषमा स्वराज ने यूएनजीए में कहा कि हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं, किन्तु हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले जब पाक पीएम शाहिद खक्कान अब्बासी भारत पर आरोप लगा रहे थे तो सुनने वाले कह रहे थे जो मुल्क हैवानियत की हदें पार करके दहशतगर्दी के जरिये सैकड़ों बेगुनाहों को मौत के घाट उतरवाता है, वो यहां खड़े होकर हमें इंसानियत के सबक के साथ मानवाधिकार का पाठ पढ़ा रहा था ?
पीएम मोदी की दोस्ती की नीयत
सुषमा ने अब्बासी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और दोस्ती की नीयत दिखाई थी और हर तरह की रुकावटों को पार करते हुए दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया था। लेकिन इस दोस्ती को बदरंग कर दिया गया, इसका जवाब पाक पीएम को देना है हमें नहीं।
लाहौर और शिमला समझौते का जिक्र
विदेश मंत्री ने कहा कि अब्बासी यहां खड़े होकर संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रस्तावों की बात भी कर रहे थे। लेकिन वह भूल गए कि शिमला समझौते और लाहौर डिक्लेयरेशन में दोनों देशों ने अपने मसलों को आपस में बैठकर ही तय करने का फैसला किया था। लेकिन पाकिस्तान अपनी सुविधा के लिए जब चाहें तब उसे भूल जाने का नाटक करता है।