बीएचयू कैंपस तनाव मामला : मोदी ने की सीएम से बात, कहा-उठाएं जरूरी कदम
वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में ‘बढ़ती छेड़खानी’ के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर रही छात्राओं पर लाठीचार्ज के मामले पर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच बीएचयू गेट के बाहर जहां सैकड़ों की संख्या में छात्र विरोध प्रदर्शन में जुटे हैं। 1200 छात्र-छात्राओं पर एफआईआर दर्ज की गई है। यूपी के विभिन्न हिस्सों के अलावा दिल्ली में भी प्रोटेस्ट हो रहे हैं। इस बीच, बीएचयू की घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की है और जरूरी कदम उठाने को कहा है।
वहीं वाराणसी पुलिस ने बीएचयू परिसर में हिंसक वारदात और शांति भंग के आरोपों के तहत 1200 अज्ञात छात्र-छात्राओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वहीं यूनिवसिर्टी कैंपस में लाठीचार्ज के लिए पहली नजर में दोषी पाए गए लंका थाने के इंचार्ज, भेलूपुर के सीओ और एक अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट को हटा दिया गया है।
बीएचयू के बाहर छात्र-छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैंपस के अंदर पुलिस बुला लिया है और आसपास की दुकानों को एहतियातन बंद करा दिया गया है। खबर यह भी है कि छात्र-छात्राओं से होस्टल खाली कराए जा रहे हैं और उनके बिजली-पानी का कनेक्शन भी काट दिया गया है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है। वहीं बीएचयू में हो रहे इस विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर विश्वविद्यालय में सोमवार से अवकाश घोषित कर दिया गया और अब नवरात्रों की छुट्टी के बाद 6 अक्टूबर 2017 को विश्वविद्यालय खुलेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले पर आईजी पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। वहीं बीएचयू के कुलपति ने इस पूरे आंदोलन को बाहरी तत्वों की साजिश बताया है। प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा की छात्रों का हंगामा विश्विद्यालय को बदनाम करने की साजिश है। शनिवार रात को परिसर हिंसा में बाहरी लोग शामिल थे। उन्होंने कहा की उपद्रव की घटना बाहरी लोगों की देन है। हमारे विश्विद्यालय के छात्रावास में करीब 25 हजार छात्र रहते हैं और हमें इस बात की ख़ुशी है, वे उपद्रव में शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि विश्विद्यालय में बाहरी लोगों का प्रवेश तब से है, जब से विश्विद्यालय बना है। अब हम कोशिश करेंगे की विश्विद्यालय परिसर में बाहर के लोगों का आना जाना बंद किया जाए।
बता दें कि यूनिवसिर्टी परिसर में छात्राओं से ‘बढ़ती छेड़खानी’ की घटनाओं के खिलाफ यहां गुरुवार से ही छात्र-छात्राएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत तब हुई जब आर्ट्स फैकल्टी की एक छात्रा अपने हॉस्टल लौट रही थी उसी वक्त मोटरसाइकिल सवार तीन लोगों ने कथित तौर पर उसका उत्पीड़न किया। छात्रा के मुताबिक, जब उसने उन लोगों का विरोध किया, तो तीन लोगों ने उसके साथ गाली-गलौज की और उसके बाद भाग गए। महिला ने आरोप लगाया कि घटनास्थल से तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर मौजूद सुरक्षा गार्डों ने उन लोगों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।
इन छात्राओं का आरोप है कि उन्हें कैंपस में लगातार ही छेड़खानी का सामना करना पड़ता है और विश्वविद्यालय प्रशासन असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए कोई कारर्वाई नहीं कर रहा है। ऐसे में यूनिवसिर्टी कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग को लेकर वे गुरुवार आधी रात को कैंपस के मेनगेट के पास ‘धरना’ पर बैठ गए। इन छात्राओं को शांत करने की कोशिश कामयाब नहीं होने पर पुलिस ने शनिवार रात छात्राओं पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में छात्र-छात्राओं के साथ कई पत्रकारों को भी चोटें आईं। पत्रकारों पर इस कथित लाठीचार्ज के विरोध में लखनऊ में कुछ पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास के सामने धरना दिया। बाद में उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कारर्वाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा।
बीएचयू में विद्याथिर्यों पर लाठीचार्ज की कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कड़ी निंदा की है और केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों पर निशाना भी साधा है। इस विरोध में शामिल होने वाराणसी पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर सहित कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इन सभी को कुछ देर बाद छोड़ दिया गया।
वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीएचयू की छात्राओं पर लाठीचार्ज के लिए भाजपा की निंदा की। गांधी ने ट्वीट किया, ‘बीएचयू में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का बीजेपी वाला रूप।’ उन्होंने इस ट्वीट के साथ वह वीडियो लिंक शेयर किया जिसमें छात्राओं ने परिसर में पुरुष पुलिसकमिर्यों द्वारा उन्हें कथित रूप से पीटे जाने का आरोप लगाया।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीएचयू में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की। अखिलेश ने अपने ट्वीट में कहा, ‘सरकार को लाठीचार्ज के जरिये नहीं बल्कि बातचीत के जरिये मुद्दे का समाधान करना चाहिए। दोषी के खिलाफ कारर्वाई की जानी चाहिए।’