लालू यादव, राबड़ी सहित उनके दोनों बेटों पर भी जांच के बाद हो सकती है कड़ी कारर्वाई
मिट्टी घोटाला, मॉल घोटाला और अब रेलवे के होटल लीज देने के बदले जमीन लेने के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई के छापों ने लालू यादव को नई मुश्किल में डाल दिया है।
पटना। राजद अध्यक्ष लालू परिवार पर लगातार मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके परिवार पर बेनामी संपत्ति के मामले में लगातार कई आरोप लग रहे हैं। मिट्टी घोटाला, मॉल घोटाला और अब रेलवे के होटल लीज देने के बदले जमीन लेने के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई के छापों ने लालू यादव को नई मुश्किल में डाल दिया है। इन मामलों में लालू, राबड़ी सहित उनके दोनों बेटों पर भी जांच के बाद कड़ी कारर्वाई हो सकती है।
हाल ही में लालू-राबड़ी अपने दोनों बेटों के लिए दुल्हन लाने की ख्वाहिश जाहिर कर अपनी पसंद बताई थी कि उन्हें कैसी बहू चाहिए? लेकिन बहू लाने से पहले बेनामी संपत्ति के पुराने मामले परत-दर-परत खुल रहे हैं और लालू-राबड़ी अपने दोनों बेटों पर भी घोटाले की तलवार लटकती देख रहे हैं।
लालू का खुद का राजनीतिक कैरियर चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद 2013 में ही खत्म हो गया था। इस मामले के बाद वो जनता के बीच जा तो सकते हैं लेकिन अब चुनाव नहीं लड़ सकते। जिस नीतीश कुमार से लालू यादव खार खाते थे उन्होंने ही लालू को संजीवनी दी। महागठबंधन बना और लालू अपनी पार्टी के साथ बड़ा चेहरा लिए उभरे। राजद ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने दोनों बेटों को सौंपने की जो कोशिश की, जिसका इंतजार किया वो रंग लाई और महागठबंधन की सरकार बनने के बाद उनके दोनों बेटों, तेज और तेजस्वी को नीतीश कैबिनेट में जगह मिल गई। एक को तो उपमुख्यमंत्री की कुर्सी मिली तो दूसरे को भी कई अहम मंत्रालय। लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप अभी राजनीति में अपरिपक्व बताए जाते हैं और उनका ज्यादा ध्यान पूजा-पाठ और मंदिरों में बीतता है तो वहीं छोटे पुत्र तेजस्वी यादव अपने पिता की तरह राजनीति को बखूबी समझते हैं और नीतीश कुमार के चहेते भी।
सबकुछ सामान्य चल रहा था कि अचानक पूरे परिवार पर बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार के पुराने मामलों की आंच तेज हो गई । इनकम टैक्स, ईडी और अब सीबीआई ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है, लालू की ऐसी कई संपत्तियां सील कर दीं हैं और लालू की विरासत संभालने जा रहे उनके बेटों के खिलाफ भी अब जांच शुरू हो गई है। बेटी-दामाद के अलावा तेजस्वी और तेज भी इसकी चपेट में आ गए हैं।
लेकिन इन तमाम मामलों के बीच जिस नीतीश कुमार का दामन पकड़ लालू ने राजद को संजीवनी दी अब वही नीतीश उनसे आंखें चुराने लगे हैं। जहां बेनामी संपत्ति मामले में लालू और उनका परिवार बुरी तरह फंसा हुआ है तो वहीं इस मामले से नीतीश ने खुद को किनारा कर लिया है। अब नीतीश कुमार के लिए धमर्संकट यह है कि वो क्या करेंगे? लालू परिवार पर लगे काले धब्बों के बाद क्या नीतीश अपनी नाक के नीचे दागदार डिप्टी सीएम बर्दाश्त करेंगे?
कभी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राजद की वरिष्ठ नेता राबड़ी देवी ने अपने विधायकों की इस मांग का समर्थन किया था कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनना चाहिए। बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन तेजस्वी को बिहार मुख्यमंत्री बनाने की आरजेडी विधायकों और कार्यकर्ताओं की मांग पर राबड़ी देवी ने कहा था कि ‘अगर जनता चाहेगी, तो तेजस्वी अगले मुख्यमंत्री बनेंगे। लोकतंत्र में जनता ही मालिक है।’