आमने-सामने होंगे मोदी-जिनपिंग, क्या होगी बातचीत
भारत-चीन के रिश्तों में तनाव का सबब बन रहे डोकलाम सीमा विवाद के बीच जमर्नी के हेमबर्ग शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूबरू होंगे। दोनों नेता जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए जमर्नी पहुंचे हैं। ऐसे में सारी निगाहें दो एशियाई महाशक्ति मुल्कों के नेताओं पर होगी जिनकी सेनाएं बीते 20 दिनों से चुंबी घाटी इलाके में आमने-सामने हैं। दोनों नेताओं के बीच संवाद की संभावनाओं के साथ उम्मीद भी है कि इस मुलाकात के बाद तनाव घटाने का कोई रास्ता निकल सकेगा।
लगातार तीखे बयानों से दबाव के पैंतरे चल रहे चीन ने गुरुवार को दिए बयान में मौजूदा माहौल को खराब बताते हुए मोदी-चिनफिंग द्विपक्षीय मुलाकात से इनकार कर दिया। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता गोपाल ने भी हेम्बर्ग में होने वाली पीएम मोदी की 8 मुल्कों के नेताओं से होने वाली द्विपक्षीय मुलाकातों की फेहरिस्त में चीन का कोई जिक्र नहीं किया।
हालांकि, एक सवाल के जवाब में बागले ने इतना जरूर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सदस्यों वाले ब्रिक्स समूह के शासनाध्यक्षों की बैठक में जरूर शिरकत करेंगे। दरअसल, जी-20 सम्मेलन के औपचारिक आगाज से पहले ब्रिक्स शिखर बैठक ही पहला मौका होगी जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक-दूसरे से रूबरू होंगे। जमर्नी के शहर हेमबर्ग के एलिसै होटल में सुबह 9 बजे( भारतीय समयानुसार 12:30) बजे यह बैठक होनी है। करीब एक घंटे की इस मुलाकात के दौरान मोदी और चिनफिंग आमने-समाने ही नहीं साथ-साथ भी होंगे। इसके अलावा जी-20 बैठक सी शुरुआत में भी सवागत के बाद पहला कार्यक्रम लीडर्स रिट्रीट यानी नेताओं के अनौपचारिक मेलजोल का होगा। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव आलोक डिमरी के मुताबिक जी-20 में करीब दो घंटे लीडर्स रिट्रीट के लिए रखे गए हैं। इसका विषय आतंकवाद से लड़ाई को रखा गया है। जहां अपेक्षाकृत अनौपचारिक माहौल में नेता खुलकर संवाद कर सकेंगे।
मौजूदा तनाव के मद्देनजर भारत और चीन आधिकारिक तौर पर किसी औपचारिक मुलाकात से भले ही इनकार कर रहे हों, लेकिन बहुक्षीय बैठकों के दौरान मौजूद नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकातों और संवाद की संभावना हमेशा बनी रहती है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकात की संभावना से सीमा तनाव कम करने का कोई गलियारा निकल सकता है। रक्षा विशेषज्ञ और थल सेना के डिप्टी चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल(रिटा) राजकादयान मानते हैं कि इस मुलाकात से तनाव घटाने का संकेत आ सकता है। कूटनीति में नेताओं का आपसी तालमेल काफी मायने रखता है और उनका मेलजोल तनाव घटाने में कारगर साबित होता है।
हालांकि भारतीय खेमा इस बात को भी दरकिनार नहीं करता कि कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में बीते माह शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक के दौरान मोदी और चिनफिंग के बीच हुई खुशनुमा मुलाकात की तस्वीरों के महज एक हफ्ते बाद ही डोकलाम इलाके में दोनों सेनाएं आमने-सामने के गतिरोध में आ खड़ी हुई। जून 9 को दोनों नेता अस्ताना में मिले थे। इसमें चिनफिंग ने मोदी को बॉलिवुड फिल्म दंगल देखने की बात भी बताई थी।
इस मुलाकात के बाद 16 जून से भूटान-भारत और चीन की सीमा तिराहे पर सैनिक गतिरोध बना हुआ है। इस गतिरोध की जड़ में चीन की सड़क बनाने की कोशिश थी जिसका पहले भूटान ने विरोध किया और फिर भारत ने भूटानी सेना की मदद के लिए कदम बढ़ाया। चीन इसे अपनी हद में भारत की कारर्वाई बताते हुए कदम पीछे हटाने को कह रहा है।