सपा-कांग्रेस गठबंधन में रही प्रियंका गांधी का महत्वपूर्ण भूमिका

नई दिल्ली। यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन फाइनल होने को प्रियंका गांधी के राजनीति में इंट्री के तौर पर भी देखा जा रहा है। गठबंधन के पीछे प्रियंका की भूमिका की खबरें पहले भी आती रही हैं, पर पहली बार कांग्रेस के सीनियर नेता खुले तौर पर गठबंधन होने का श्रेय प्रियंका गांधी को देते नजर आ रहे हैं। सपा-कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर ऐसा पेंच फंसा था कि गठबंधन पर संकट मंडराने लगा था, पर कांग्रेस नेता मान रहे हैं कि प्रियंका ने अखिलेश से बात कर के ‘बिगड़ी बात’ को बना दिया और गठबंधन लॉक हो गया।
अभी तक प्रियंका की भूमिका राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी और सोनिया गांधी की सीट रायबरेली तक ही सीमित मानी जाती थी। उन्हें लेकर कांग्रेस का कोई नेता खुलकर बात भी नहीं करता था, सिर्फ पार्टी के अंदर ही उनकी भूमिका पर चर्चा हुआ करती थी।
समाजावादी पार्टी से गठबंधन के सिलसिले में सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के ट्वीट से पहली बार प्रियंका की भूमिका की बात खुलकर सामने आई। एसपी से गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत को लेकर सामने आ रही कुछ खबरों पर उन्होंने लिखा, ‘यह कहना गलत है कि कांग्रेस की ओर से कम महत्वपूर्ण नेता गठबंधन को डील कर रहे थे। बातचीत उच्चतम स्तर पर यूपी के सीएम और कांग्रेस के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद और प्रियंका गांधी के बीच चल रही थी।’ बाद में गुलाम नबी आजाद ने भी प्रियंका को यह कहते हुए धन्यवाद दिया कि गठबंधन फाइनल करने में उनकी भूमिका अहम रही।
यह पहली बार है जब कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए बेहद अहम माने जा रहे किसी राजनीतिक घटनाक्रम में प्रियंका सीधे तौर पर शामिल रहीं और उनकी भूमिका को खुले तौर पर पार्टी की ओर से स्वीकारा भी गया। अहम बात यह भी है कि सोनिया के नजदीकी अहमद पटेल ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का नाम नहीं लिया। जानकार मान रहे हैं कि यह प्रियंका की राजनीति में बढ़ती सक्रियता का इशारा हो सकता है, जिसकी पुष्टि खुद गांधी परिवार की ओर से की जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स में तो यह भी बताया गया कि प्रियंका ने गठबंधन को लेकर कई बार अखिलेश यादव को टेक्स्ट मैसेज भी भेजे।
प्रियंका काफी वक्त से यूपी के मामलों में खासी दिलचस्पी लेती रही हैं। वह पार्टी की चर्चाओं में शामिल होती रही हैं और यूपी के नेताओं से मिलती भी रही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार, केंद्र में मोदी सरकार की ओर से कांग्रेस को मिल रही चुनौतियां और फिर कई राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के अंदर यह मांग उठ रही थी कि प्रियंका को अब सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है। कांग्रेस के लिए यूपी और पंजाब चुनाव की रणीनीति बना रहे प्रशांत किशोर भी चाहते थे कि प्रियंका पार्टी के लिए खुलकर प्रचार करें, उन्होंने बाकायदा एक कैंपेन प्लान भी तैयार किया था, पर शीर्ष नेतृत्व ने इसकी मंजूरी नहीं दी।
प्रियंका गांधी 1999 से रायबरेली और अमेठी में सोनिया और राहुल के चुनाव प्रबंधन का काम देखती रही हैं। बेल्लारी के चुनाव में उन्होंने सोनिया गांधी के साथ चुनाव प्रचार भी किया था। पार्टी के लोग मानते हैं कि पिछले एक सप्ताह में हुआ घटनाक्रम उनकी राजनीति में एंट्री का ही इशारा कर रहा है।
कांग्रेस में प्रियंका की बढ़ती भूमिका पर चर्चा तब शुरू हुई जब पिछले साल जुलाई में पार्टी ने उत्तर प्रदेश के लिए रोडमैप बनाने का काम शुरू किया। यह बात सामने आई कि कांग्रेस के ‘यूपी प्लान’ में प्रियंका ने काफी इनपुट्स दिए । इसके बाद चुनाव प्रचार की रणनीति को लेकर उनकी गुलाम नबी आजाद और दूसरे नेताओं के साथ बैठक की जानकारी भी सामने आने लगी।
बाद में जमीनी हालात को भांपते हुए जब कांग्रेस ने यूपी में अपने प्लान से पीछे हटते हुए एसपी से गठबंधन का फैसला किया, तब भी प्रियंका ने आगे आकर सीटों के बंटवारे में अहम रोल अदा किया। यह बात अब खुलकर सामने आ चुकी है कि प्रिंयका और राहुल, न सिर्फ यूपी से सीएम अखिलेश यादव के साथ भी संपर्क में थे बल्कि आरएलडी के जयंत चौधरी से भी उनकी बात चल रही थी।