सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला मंदिर की तरह ही राम मंदिर पर भी अपना फैसला देना चाहिए : योगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीते कई दिनों से राम मंदिर को लेकर बहस के बीच सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को एक बड़ा बयान दिया है। शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला मंदिर की तरह ही राम मंदिर पर भी अपना फैसला देना चाहिए। सीएम योगी ने इस बयान के दौरान कहा कि राम मंदिर का विषय धार्मिक मामला है और इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए।
शनिवार को अपने बयान में सीएम योगी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव की स्थिति नहीं होनी चाहिए। अगर उच्चतम न्यायालय सबरीमाला मंदिर पर अपना फैसला सुना सकता है तो हमारी अपील है कि कोर्ट को राम मंदिर के मुद्दे पर भी फैसला देना चाहिए।’ सीएम योगी ने कहा कि इस मामले को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की धार्मिक भावना का विषय है।
बता दें कि सीएम योगी ने यह बयान उस वक्त दिया है, जबकि पिछले कई दिनों से यूपी की सियासत में राम मंदिर को लेकर तमाम बयानबाजी हो रही है। राम मंदिर का पूरा विवाद फिलहाल उच्चतम न्यायालय में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब 29 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है। इस मामले में मुख्य पक्षकार राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिंदू महासभा हैं। इसके अलावा अन्य कई याची जैसे सुब्रमण्यन स्वामी आदि की अर्जी है जिन्होंने पूजा के अधिकार की मांग की हुई है लेकिन सबसे पहले चार मुख्य पक्षकारों की ओर से दलीलें पेश की जाएंगी।
Nobody should be discriminated. If Supreme Court can give its verdict on #SabarimalaTemple, then we appeal that a decision on Ram Mandir should also be taken. The issue of Ram Janmabhoomi is not about politics, it is about religious sentiments: UP CM Yogi Adityanath pic.twitter.com/cgbxVHuCso
— ANI UP (@ANINewsUP) October 27, 2018
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दिवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई हाई कोर्ट ने दिए फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़ा को दूसरा हिस्सा दिया गया इसी में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल है। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा यथास्थिति बहाल कर दी थी।