पाकिस्तान : प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान ने ले ली है शपथ

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान ने शपथ ले ली है। इमरान ने भले ही विदेश में पढ़ाई की हो और क्रिकेट करियर के दौरान उनकी छवि प्लेबॉय की हो, लेकिन राजनीति में वह कट्टर छवि के समर्थक माने जाते हैं। इमरान के पाकिस्तान के नए पीएम के तौर पर भारत के साथ संबंध और पाकिस्तान की चुनौतियों से निपटने पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।
इमरान खान  की जीत के पीछे कहा जा रहा है कि वह सेना के पसंदीदा रहे हैं। पाकिस्तान में सरकार चलाने में सेना का दखल भी बहुत प्रभावी रहा है। सेना के बारे में उन्होंने कहा भी है, ‘मुझे लगता है कि एक लोकतांत्रिक सरकार नैतिक अधिकार से नियम बनाती है और यदि आपके पास नैतिक अधिकार नहीं है, तो जिनके पास भौतिक अधिकार हैं वे दबाव बनाते हैं।’ इमरान को सेना का समर्थक और पसंदीदा भी बताया जाता है। इमरान के कार्यकाल पर पूरी दुनिया की नजर है कि वह अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे या नहीं।

इमरान चुनाव पूर्व भारत के खिलाफ बयानबाजी से नहीं चूकते थे। हालांकि, चुनावों के बाद उन्होंने जरूर अच्छे संबंध बहाल करने की बात कही। भारत के साथ संबंधों पर पूर्व क्रिकेट कप्तान ने कहा, ‘ पाकिस्तान में कुछ भी गलत हो रहा है उसके लिए भारत जिम्मेदार है और ठीक यही आरोप भारत पाकिस्तान पर लगाए। इस ब्लेम गेम से किसी का कोई लाभ नहीं होने वाला है। आगे बढ़ने के लिए यह तरीका ठीक नहीं हो सकता है। उपमहाद्वीप में शांति और स्थिरता के लिए दोनों मुल्कों को बराबरी पर आना होगा।’

अपनी विदेश नीति में चीन को प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए उन्होंने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन के साथ संबंध दोनों मुल्कों के लिए अहम हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन ने चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर निर्माण के साथ हमें एक मौका दिया है। हमें चीन से अभी यह भी सीखना है कि कैसे अपने देश के लोगों को गरीबी से बाहर निकालना है और कैसे भ्रष्टाचार से निपटना है।’ अमेरिका को लेकर इमरान ने दो-टूक कहा कि पाकिस्तान में शांति बहाल करने के लिए हम अमेरिका पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के अच्छे संबंध दोनों के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकता है।

चुनाव से पहले इमरान ने नवाज शरीफ और उनके परिवार के भ्रष्टाचार पर जमकर निशाना साधा। माना जा रहा है कि पाकिस्तानी राजनीतिक इतिहास के अनुसार अब नवाज और उनकी बेटी को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है। अगर सेना और आईएसआई ने थोड़ा नरम रुख अपनाया तो दोनों को जमानत मिल सकती है।