अमेरिकी राजदूत के तौर पर पहली बार भारत आई हैं निक्की हेली
नई दिल्ली. भारतीय मूल की निक्की हेली संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के तौर पर पहली बार भारत आई हैं। वह इस दो दिवसीय दौरे के दौरान भारतीय अधिकारियों, कारोबार क्षेत्र के दिग्गजों और छात्रों से मुलाकात करेंगी। यहां आने के बाद उन्होंने दिल्ली स्थित कई ऐतिहासिक स्थलों का भी दौरा किया। भारतीय मूल की हेली गुरुवार को दिल्ली के सीस गंज गुरुद्वारे पहुंचीं। यहां दर्शन करने के बाद उन्होंने (सामुदायिक रसोई) लंगर के लिए खाना भी बनाया। उनका कहना है कि उनकी इस यात्रा का उद्देश्य दुनिया के दो सबसे पुराने लोकतत्रों के बीच साझेदारी को मजबूत करना है।
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब में दर्शन करते वक्त वह काफी खुश दिखाई दे रही थीं। इसके बाद वह दिल्ली के जामा मस्जिद के लिए रवाना हुईं । वह भारत की अपनी इस यात्रा को घर वापसी जैसा बता रही हैं।
हेली का कहना है , ‘भारत वापस आकर मेरा दिल खुश हो गया है। यह उतना ही सुंदर है जितना मुझे याद था। मेरे माता पिता ने कहा कि मैं पागल हूं जो इतनी गर्मी में वहां जा रही हूं। लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूं कि भारत आने के लिए इतनी गर्मी झेली जा सकती है।’
बुधवार को हेली ने अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर के साथ मुगलशाह हुमायूं के मकबरे का दौरा भी किया था। उन्होंने यहां आकर कहा कि हुमायूं का मकबरा इस बात की याद दिलाता है कि हम संस्कृति की कितनी कद्र करते हैं और भारत संस्कृति की कितनी कद्र करता है। हेली ने यहां आकर भारत और अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी इस यात्रा का मकसद दोनों देशों की दोस्ती को और मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि मैं भारत के लिए प्यार, भारत और अमेरिका की दोस्ती में हमारे विश्वास तथा इस रिश्ते को और मजबूत करने के लिए आई हूं।
बुधवार को हेली ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हर बच्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने दिल्ली के बुराड़ी इलाके में सत्यार्थी द्वारा स्थापित बाल पुर्नवास केंद्र मुक्ति आश्रम में जाकर बच्चों से भी बातचीत की।
हेली पंजाब के सिख प्रवासी की बेटी हैं। वह अमेरिकी सरकार में मंत्रिमंडल स्तर के पद पर रहने वाली पहली भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। इससे पहले हेली साल 2014 में भी भारत आ चुकी हैं। उस वक्त वह साउथ कैरोलिना की राज्यपाल थीं।