दिल्ली में15 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के मामले में हाईकोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली। दिल्ली में सरकारी स्कूलों में नियमित शिक्षकों की भर्ती रोके जाने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए सरकार को नए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। 2010 से कार्य कर रहे अतिथि शिक्षकों को नियमित करने पर भी रोक लगा दी है। जस्टिस एके चावला ने यह आदेश तब दिया जब सरकार की ओर से नियमित शिक्षकों की नियुक्ति पर गोलमोल जवाब देते हुए कहा गया कि अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए जल्द ही विस में बिल लाया जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने दिवाली से पूर्व अतिथि शिक्षकों को तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 15 हजार अतिथि शिक्षकों और ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों को नियमित करने की मंजूरी दी गई। इन सभी अतिथि शिक्षकों को अपेक्षित योग्यता व मानकों पर खरा उतरने के बाद ही विद्यालयों में शिक्षा प्रदान करने के लिए नियुक्त किया गया था। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि अतिथि शिक्षकों और ‘सर्व शिक्षा अभियान’ अधिनियम के तहत लगे शिक्षकों के नियमितीकरण से संबंधित विधेयक को दिल्ली विधान सभा के चार अक्टूबर को आयोजित विशेष सत्र में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालय के विद्यालयों में सभी अतिथि शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाने के साथ -साथ सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें बच्चों के लिए आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर, चुनौती और रीडिंग कैम्पेन प्रमुख हैं। दिल्ली सरकार के स्कूलों ने 12वीं कक्षा के परिणाम बेहतर हुए हैं । सरकारी स्कूलों के परिणाम पिछले दो वर्षों के निजी स्कूलों के परिणामों से बेहतर हुए हैं जिसमें इन शिक्षकों की विशेष भूमिका रही। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी के मानकों पर आधारित ‘सीखने के परिणाम’ कार्यक्रम की पहल करने वाला दिल्ली पहला राज्य बना, जिसके तहत अतिथि शिक्षक व सभी शिक्षकों ने साथ मिलकर शिक्षण प्रदान करने और सीखने की प्रक्रिया पर निरंतर कायर्शालाएं आयोजित की। इससे शिक्षा के माहौल को सुधारने के साथ -साथ विद्यालयों के वातावरण को उन्नत करने में भारी मदद मिली।