राज्यसभा चुनाव में नोटा का विकल्प रहेगा, सुप्रीम कोर्ट का रोक से इनकार

नई दिल्ली। राज्यसभा चुनावों में नोटा का प्रावधान करने संबंधी निर्वाचन आयोग की अधिसूचना पर रोक लगाने से गुरुवार को इनकार कर दिया। कांग्रेस को इससे झटका लगा है।
जस्टिस दीपक मिश्रा और एएम खानिवलकर की पीठ हालांकि इस चुनाव में नोटा का विकल्प प्रदान करने की निर्वाचन आयोग की 1 अगस्त की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता पर विचार के लिए सहमत हो गई।
गुजरात कांग्रेस के मुख्य सचेतक शैलेश मनुभाई परमार की ओर से जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और हरीन रावल ने निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अमल पर अंतिरम रोक लगाने का आग्रह किया तो पीठ ने कहा नोटिस जारी किया जाए। हम इसकी विवेचना करेंगे। हम कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं।
शीर्ष अदालत के 2013 के एक फैसले के बाद से निर्वाचन आयोग चुनावों में नोटा का प्रावधान मतदाताओं को उपलब्ध करा रहा है। न्यायालय ने आयोग से कहा था कि चुनाव में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने पर विचार किया जाए। पीठ सिब्बल की इस दलील से सहमत नहीं थी कि नोटा का प्रावधान भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा।
इस समय गुजरात में राज्यसभा से तीन स्थान रिक्त हैं और चुनाव मैदान में कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल सहित चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। नोटा के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका में विधानसभा सचिव द्वारा 1 अगस्त को जारी परिपत्र निरस्त करने का आग्रह किया गया है। परिपत्र में कहा गया है कि राज्यसभा के चुनाव में नोटा का प्रावधान भी उपलब्ध रहेगा।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस विकल्प के इस्तेमाल से जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 और चुनाव संचालन नियम, 1961 का उल्लंघन होता है।