कश्मीर मुद्दे पर भारत-पाक के मध्यस्थता करना चाहता है चीन!

नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन की नजदीकियों का असर अब दिखना शुरू हो गया है। चीन अपने वन बेल्ट, वन रोड मिशन के तहत चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है। इस मिशन के साथ ही चीन कश्मीर मुद्दे पर भारत-पाक के मध्यस्थता करना चाहता है। चीन चाहता है कि कई क्षेत्रीय मुद्दों पर वह मध्यस्थता की भूमिका निभाये।
चीन के स्टेट मीडिया ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार, चीन ने हाल ही में म्यांमार और बांग्लादेश के बीच में रोहिंग्या के मुद्दे पर अहम भूमिका निभा सकता है। अब वही तरीका वह भारत और पाकिस्तान के बीच भी अपनाना चाहता है। आपको बता दें कि चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर का एक अहम हिस्सा म्यांमार और बांग्लादेश से होकर गुजरता है।
आपको बता दें कि वन बेल्ट, वन रोड चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। इस मिशन के जरिये चीन एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ना चाहता है। इसके तहत कई रेलवे पोर्ट, सड़कें और पावर स्टेशन बनेंगे। आने वाली 14-15 मई को डइडफ समिट भी होगा। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने इस मुद्दे पर ऐतराज जता चुके हैं। चीन-पाक के इस कॉरिडोर का कुछ हिस्सा कश्मीर के गिलगित-बाल्तिस्तान इलाके से भी गुजरता है। हालांकि भारत इस हिस्से पर अपना दावा जताता रहा है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनझियांग को जोड़ने वाले कॉरिडोर की योजना है। यह कॉरिडोर ग्वादर से शुरू होकर काशगर तक जाएगा। अरबों डॉलर के इस प्रोजेक्ट के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान एंट्री गेट का काम करेगा। चीन इस क्षेत्र में औद्योगिक पार्क, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, रेलवे लाइन और सड़कें बना रहा है। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में काराकोरम हाईवे का विस्तार चीन के अशांत रहने वाले शिंजिआंग सूबे तक किया जाएगा।
इससे घाटी तक चीन को मुक्त और ट्रेन से तेज रफ्तार पहुंच मिलेगी। गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के अन्य प्रांतों तक रेलवे लाइन और सड़कों का काम पूरा हो जाने पर, ग्वादर, पासनी और ओरमारा में चीन निर्मित नौसेना बेस के रास्ते आने वाले चीनी कार्गो को पाकिस्तान पहुंचने में सिर्फ 48 घंटे लगेंगे। अभी इसमें 16 से 25 दिन का समय लगता है।