अयोध्या मामले का आउट आॅफ कोर्ट सेटलमेंट का मुख्यमंत्री योगी और अन्य भाजपा नेताओं ने किया स्वागत
नई दिल्ली। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा समेत सभी भगवा दल और कुछ मुस्लिम धमर्गुरुओं ने स्वागत किया है, लेकिन आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, आॅल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें कोई आउट आॅफ कोर्ट सेटलमेंट मंजूर नहीं है। पात्रा ने कहा कि पार्टी इस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का व्यापक अध्ययन करेगी और संबंधित पक्ष इसको मिलकर सुलझाएंगे।
मामले में आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर पहले से ही था। लिहाजा वहां राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए। मस्जिद का निर्माण नहीं होना चाहिए। इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से ही इस पर बातचीत का आधार बनता है। अब इसका समाधान ढूढ़ने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सिन्हा ने कहा कि बाबरी मस्जिद कमेटी इस बात के कोई ठोस साक्ष्य नहीं दे पाई कि वहां पर मस्जिद था। ऐसे में वहां पर राम मंदिर का निर्माण करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हम राम मंदिर मामले में समझौते को तैयार हैं। वहां पर राम मंदिर पहले से था। ऐसे में राम मंदिर वहीं बनना चाहिए। मस्जिद कहीं पर भी बनाई जा सकती है। सरयू नदी के पार मुसलमान मस्जिद बना सकते हैं। मुसलमान सड़क पर भी नमाज पढ़ सकते हैं। सऊदी समेत कई देशों में बिल्डिंग बनाने के लिए मस्जिद हटाए जाते हैं। मुसलमान कहीं पर भी नमाज पढ़ सकते हैं। लिहाजा मुस्लिम समुदाय इस रचनात्मक सुझाव को माने, तो अच्छा होगा। उन्होंने मामले में मध्यस्था के लिए एक न्यायाधीश की नियुक्त करने की भी मांग की।
मुस्लिम धमर्गुरु कल्बे जव्वाद ने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा, उसको मानेंगे। इससे पहले भी कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिश हुई, लेकिन कोई कोई कामयाबी नहीं मिली। इस संबंध में कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा, वह सभी को मान्य होगा।
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि बाबरी मस्जिद के मसले पर दोनों पक्षों को बैठकर हल निकालना चाहिए। फिलहाल शाही इमाम देश से बाहर हैं। दिल्ली आकर वह इस मसले पर बात करेंगे। जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें कोई आउट आॅफ कोर्ट सेटलमेंट मंजूर नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट कोई मध्यस्थता कर इसका कोई हल निकलता है, तो हम इसके लिए तैयार है। सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता की सूरत में यह पूरी तरह कानूनी होगा और कोई आउट आॅफ कोर्ट नहीं होगा। इससे पहले भी आउट आॅफ कोर्ट सेटलमेंट की कई कोशिशें हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में प्राइवेट पार्टी के साथ अदालत के बाहर बैठकर कोई हल नहीं निकल सकता।।
मामसे में फैसला आने के बाद एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट अवमानना याचिका पर भी फैसला सुनाएगा, जो 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के समय से लंबित है। इसके अलावा कई अन्य मुस्लिम धमर्गुरुओं ने कहा है कि वे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे।
इसके अतिरिक्त कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को सही बताया है। उन्होंने कहा कि हम कल से ही मध्यस्थता शुरू करने को तैयार हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जहां तक यूपी में बीजेपी की सरकार बनने का सवाल है, तो लोगों ने विकास के लिए वोट दिया है। बीजेपी सांसद विनय कटियार ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है। इसके अलावा साधु-संतों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने से राम मंदिर निर्माण में तेजी आएगी।