शशिकला के करीबी पलानीसामी विधायक दल के नए नेता, पन्नीरसेल्वम पार्टी से बाहर
नई दिल्ली/चेन्नई। तमिलनाडु में राजनीतिक तूफान के बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही सुबह से ही सूबे में राजनीतिक उठापटक अपने चरम पर पहुंच गई है। सबसे पहले पन्नीरसेल्वम की जगह सीएम बनने पर अड़ी वीके शशिकला के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति के केस में सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई। उसके बाद पलानीसामी विधायक दल के नए नेता चुने गए।
शशिकला के भरोसमंद ई. के पलनीस्वामी को विधायक दल का नेता चुना गया। ओ पन्नीरसेल्वम को एआईएडीएमके पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त किया गया। शशिकला के अलावा सुधाकरन और इल्वरासी को 4 साल की कैद और 10-10 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। जयललिता के दिवंगत हो जाने के चलते उनका मामला खत्म कर दिया गया है। शशिकला ने कूवाथर के एक रेज़ॉर्ट में विधायक दल का नेता चुनने के लिए विधायकों की आपातकालीन बैठक बुलाई। इस फैसले के बाद ओ पन्नीरसेल्वम के समर्थक उनके आवास के सामने जुटे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए। शांति बनाए रखें। कोई कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश ना करे। कानून सभी के लिए बराबर है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- भ्रष्टाचार के बाकी केस पर भी ऐसे ही जल्द फैसले आने चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उन्हें तुरंत अदालत जाकर सरेंडर करना होगा। अब उनके पास सिर्फ पुर्नविचार याचिका दायर करने का विकल्प है लेकिन उसमें भी समय लगेगा।अब शशिकला को 10 साल तक कोई राजनीतिक पद नहीं मिल पाएगा। अब शशिकला 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगी।अब शशिकला को जेल जाना होगा। अब शशिकला के पास सरेंडर करने के अलावा कोई चारा नहीं है। अब शशिकला मुख्यमंत्री भी नहीं बन पाएंगी।
27 सितंबर 2014 को बेंगलूरु की विशेष अदालत ने जयललिता को 4 साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।इस केस में ही शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी चार साल की सजा सुनाई गई थी और 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था। फैसले के बाद चारों को जेल भी भेजा गया था। जिसके बाद विशेष अदालत के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा था।
ये मामला करीब 21 साल पुराना साल 1996 का है, जब जयललिता के खिलाफ आय से 66 करोड़ रुपये की ज्यादा की संपत्ति का केस दर्ज हुआ था।इस केस में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया गया था। शशिकला के खिलाफ ये केस निचली अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है।
11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट से जयललिता और शशिकला को बड़ी राहत तो मिली थी, लेकिन इसके बाद कर्नाटक की सरकार जयललिता की विरोधी पार्टी डीएमके और बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दे दी। कर्नाटक सरकार इस मामले में इसलिए पड़ी, क्योंकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।