जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते तक के लिए फैसला टाला
नई दिल्ली। तमिलनाडु में जलीकट्टू के समर्थन में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को ऐलान किया कि इस बारे में एक-दो दिन में अध्यादेश लाया जाएगा। इस बीच केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर कम से कम एक हफ्ते तक फैसला नहीं देने का अनुरोध किया है। केंद्र ने कहा है कि धार्मिक भावनाओं को लेकर राज्य में प्रदर्शन हो रहे हैं और ऐसे में कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट केंद्र की अर्जी पर राजी हो गया है कि एक हफ्ते तक इस मामले में फैसला नहीं दिया जाएगा।
तमिलनाडु में जलीकट्टू पर रोक के खिलाफ पिछले तीन दिनों से जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच सीएम पनीरसेल्वम ने एक बड़ा ऐलान किया है। तमिलनाडु के सीएम पनीरसेल्वम ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार इस बारे में जल्द ही अध्यादेश लाएगी। पनीरसेल्वम ने कहा कि इसका ड्राफ्ट गृह मंत्रालय के पाश भेजा गया और एक-दो दिन में इसे जारी कर दिया जाएगा। शुक्रवार शाम में तमिलनाडु कैबिनेट की बैठक हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने लोगों से प्रोटेस्ट खत्म करने की अपील की है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में ये मामला है और पहले अदालत ने इस पर बैन लगा दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया था। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने कहा कि इस बारे में संशोधन को लेकर संविधान विशेषज्ञों से बात की गई है। ड्राफ्ट को लेकर केंद्र के साथ बात करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को लगाया गया है। राज्य में जलीकट्टू की अनुमति देने के लिए अध्यादेश पर जल्द ही फैसला हो जाएगा।
तमिलनाडु सरकार जलीकट्टू के पक्ष में अध्यादेश लाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार इसके लिए ड्राफ्ट प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगी। गृह मंत्रालय इसे राष्ट्रपति के पास भेजेगा और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे राज्य के राज्यपाल को भेजा जाएगा। सांडों की लड़ाई यानी जलीकट्टू को तमिलनाडु में आस्था के साथ जोड़कर देखा जाता है और यहीं कारण है कि इस पर अदालत की ओर से लगी रोक के बाद विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं। पिछले चार दिनों से चेन्नई के मरीना बीच पर भारी संख्या में लोग जमा होकर रोक का विरोध कर रहे हैं। तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों और दिल्ली में भी विरोध हो रहा है।
जलीकट्टू के समर्थन में राज्यभर में हो रहे प्रदशर्नों के साथ अब विपक्षी दल भी मैदान में कूद पड़े हैं। विपक्षी डीएमके ने राज्य में रेल रोको का आह्वान किया है। डीएमके के कायर्कारी प्रेसिडेंट एम। के। स्टालिन ने मंबलम रेलवे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन में हिस्सा लिया। वहीं कनिमोझी ने चेन्नई में रेल रोको प्रोटेस्ट में शामिल हुईं।
वहीं बृहस्पतिवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने इस मामले में अध्यादेश जारी करने की मांग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी लेकिन पीएम ने कहा कि ये मामले न्यायालय में लंबित है इसलिए इसपर अभी कुछ नहीं किया जा सकता। सीएम पनीरसेल्वम ने पीएम से मुलाकात के बाद ऐलान किया था कि जल्द ही अच्छी खबर आएगी।