सपा : अंतिम निर्णय आने तक आयोग मौजूदा सिंबल को फ्रीज कर देता है तो दोनों पक्षों को अलग-अलग निशान पर उतरना होगा चुनावी मैदान में

नई दिल्ली। सपा के दो गुटों के बीच पार्टी के चुनाव निशान ‘साइकिल’ पर दावेदारी का मसला चुनाव आयोग को सुलझाना है। पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद 13 जनवरी को चुनाव आयोग इस मसले पर अहम बैठक करने जा रहा है। मौजूदा सूरतेहाल में माना जा रहा है कि यदि अंतिम निर्णय आने तक आयोग मौजूदा सिंबल को फ्रीज कर देता है तो दोनों पक्षों को अलग-अलग निशान पर चुनावी मैदान में उतरना हो। ऐसे में मुलायम सिंह यादव ने अपनी तैयारी कर ली है।
इन सियासी परिस्थितियों में मुलायम सिंह यादव नए चुनाव चिन्ह के रूप में ‘हल जोतते किसान’ सिंबल की मांग आयोग से कर सकते हैं। इसकी पूरी तैयारी भी की जा चुकी है। दरअसल इस सिंबल से मुलायम सिंह यादव का पुराना नाता भी है। 1980 के दशक में वह दरअसल लोकदल से जुड़े थे, तब वह इसी पार्टी से चुनाव लड़ते थे। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अमर सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका है। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह के साथ सिंबल के मसले पर अमर सिंह की बातचीत हो चुकी है। शिवपाल भी संपर्क में हैं।
उल्लेखनीय है कि मुलायम सिंह यादव 1980 में यूपी में लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 1982-1985 के दौरान वह लोकदल(बी) के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। उनके नेतृत्व में ही इस पार्टी ने उस साल के चुनावों में 85 सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी और वह विपक्ष के नेता बने थे।
अखिलेश यादव का प्लान बी : अखिलेश खेमे ने भी प्लान बी की भी तैयारी कर रखी है। यानी कि यदि उनको साइकिल सिंबल नहीं मिलता है अखिलेश यादव आयोग से ‘मोटरसाइकिल’ चुनाव निशान देने की गुजारिश कर सकते हैं।
इस संबंध में अखिलेश यादव के एक करीबी युवा नेता ने कहा, ”2012 के चुनावों से पहले अखिलेश ने अपने अभियान के दौरान सैकड़ों किमी की यात्रा कर पार्टी के चुनाव निशान साइकिल को फिर से बेहद लोकप्रिय बनाया। अब यदि हमको वह निशान नहीं मिलता है तो हम चुनाव आयोग से मोटरसाइकिल देने की गुजारिश करेंगे। इसका ग्रामीण यूपी के लिहाज से एक प्रतीकात्मक अर्थ भी होगा कि अब विकास के कार्यों को तेज गति दी जाएगी।”