धोनी ने वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ी

धोनी ने खुद हटने का फैसला लेकर सबका मुंह बंद कर दिया है

 


रांची। महेंद्र सिंह धोनी ने वन-डे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी। लेकिन वे दोनों फॉर्मेट में फिलहाल खेलते रहेंगे। इंग्लैंड के खिलाफ इसी महीने होने वाली वन-डे और टी20 सीरीज में अवेलेबल रहेंगे, लेकिन कप्तानी नहीं करेंगे। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के लिए टीम सिलेक्शन 6 जनवरी को होना है। बता दें कि वन-डे में धोनी ने सबसे ज्यादा 110 मैचों में टीम को जीत दिलाई है। टी20 में टीम इंडिया धोनी की कप्तानी में 41 मैचों में जीती है। भास्कर के क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन का कहना है कि धोनी ने कप्तानी इसलिए छोड़ी क्योंकि वे जानते थे कि टीम इंडिया में दो पावर सेंटर नहीं हो सकते।

बता दें कि धोनी ने दिसंबर 2014 में आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में टेस्ट की कप्तानी छोड़ी थी। धोनी की लीडरशिप में इंडिया दिसंबर 2009 में टेस्ट की नंबर वन टीम बनी। उन्होंने 27 टेस्ट में जीत दिलाई।  283 वन-डे मैच खेल चुके हैं और इसमें धोनी ने 9 सेन्चुरी और 61 फिफ्टी लगाई है। वन-डे में धोनी का हाइएस्ट स्कोर 183 रन हैं, जो उन्होंने जयपुर में श्रीलंका के खिलाफ 2005 में बनाया था।
धोनी ने 2 अप्रैल 2011 को वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ ही 91 नॉट आउट की पारी खेली थी।
धोनी के अचीवमेंट्स
ओडीआई वर्ल्ड कप 2011, ळ20 वर्ल्ड कप 2007 और चैम्पियंस ट्रॉफी में जीत दिलाई। टेस्ट में टीम को नंबर वन बनाया।
– ओडीआई में 110, टी20 में 41 और टेस्ट में 27 मैचों में जीत दिलाई।
तीनों फॉर्मेट में धोनी भारत के सबसे कामयाब कप्तान
1. वनडे
धोनी ने वनडे में 199 मैच में कप्तानी की। 110 में जीत दिलाई। सक्सेस रेट 60% रहा।
वनडे में कप्तानी में उनसे पीछे अजहर हैं। उन्होंने 174 मैच में टीम की कप्तानी की और 90 में जीत दिलाई। सक्सेस रेट 54% रहा।
2. टेस्ट
टेस्ट में धोनी ने 60 मैचों में कप्तानी कर 27 में जीत दिलाई। सक्सेस रेट 45% रहा। उनसे पीछे गांगुली हैं, जिन्होंने 49 मैचों में कप्तानी कर 21 टेस्ट में जीत दिलाई थी। सक्सेस रेट 26% रहा। तीसरे नंबर पर कोहली हैं। उन्होंने अब तक 22 मैचों में कप्तानी कर 14 टेस्ट जिताए हैं। सक्सेस रेट 63% है।
3. टी20
धोनी की कप्तानी में इंडिया ने 72 टी20 खेले। 41 में जीत मिली। सक्सेस रेट 60% रहा।
कपिल ने धोनी के फैसले को सैल्यूट किया : कपिल देव ने कहा कि ये पॉजिटिव सोच है। ये देश के बारे में सोच है और नई पीढ़ी को मौका देने की सोच है। इस फैसले के लिए धोनी को सैल्यूट करना चाहिए। बोले, अगर धोनी ने ये डिसीजन लिया है तो हमें उनके साथ खड़े होना चाहिए।
टेस्ट कैप्टेंसी छोड़ते वक्त भी उन्होंने यही कहा था कि नए खिलाड़ी आ गए हैं और हमें उन्हें मौका देना चाहिए। ये फैसला भी उन्होंने लिया है तो शायद यही सोचकर लिया होगा।
धोनी ने बीसीसीआई को सूचना दी कि वे वन-डे और टी20 की कैप्टेंसी छोड़ना चाहते हैं। इसके बाद बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी ने कहा, “देश के हर क्रिकेट प्रेमी और बीसीसीआई की तरफ में मैं धोनी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
जौहरी बोले, “न्होंने कैप्टन के रूप में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शानदार परफॉर्मेंस दी है। उनकी लीडरशिप में टीम इंडिया ने नई ऊंचाइयों को छुआ और उनके अचीवमेंट दशकों तक इंडियन क्रिकेट में याद किए जाएंगे।
पूर्व क्रिकेटर दीपदास गुप्ता ने कहा, ये अचानक और चौंकाने वाला फैसला है। धोनी ने हमेशा टीम को अपने से पहले रखा।
क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन का कहना है कि नए साल के पहले हफ्ते में ही धोनी ने धमाका कर दिया। उन्होंने वनडे और ट्वेंटी20 फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ दी।
‘उनका यह कदम चौंकाने वाला इसलिए है क्योंकि सिलेक्टर्स ने उन्हें कप्तानी से हटाने के कोई संकेत नहीं दिए थे। धोनी ने अंतरात्मा की आवाज पर फैसला लिया।’
– ‘उम्मीद थी कि वे अगले साल होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी तक कप्तान बने रहते।’
– ‘धोनी 8 साल तक तीनों फॉर्मेट में कप्तान रहे।’
– ‘भारतीय धरती पर सत्ता के दो ध्रुव नहीं हो सकते। जो टेस्ट का कप्तान होगा वही बाकी दोनों फॉर्मेटों का भी कप्तान होगा।’
– ‘हर बार खिलाड़ियों को स्विच आॅन और आॅफ नहीं किया जा सकता है।’
– ‘धोनी और विराट दो विपरीत ध्रुव हैं। विराट बेहद आक्रामक है तो धोनी की कप्तानी में डिफेंसिव-आॅफेंसिव दोनों हैं।’
– ‘धोनी ने जब देखा कि विराट ने टेस्ट कप्तानी में सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं तो उन्होंने कप्तानी छोड़ना ही ठीक समझा। धोनी को शायद इस बात का डर था कि उनकी और विराट की कप्तानी की शैली से खिलाड़ी कन्फ्यूज होंगे।’
– ‘धोनी ने टेस्ट कप्तानी भी उसी समय छोड़ी जब वाइस कैप्टन के रूप में उन्होंने विराट को काबिल समझा।’
– ‘मेमन के मुताबिक, मेरे ख्याल से एक खिलाड़ी के रूप में धोनी एक या दो साल टीम में बने रह सकते हैं। देखना होगा कि विराट की कप्तानी में खेलने को वे कितना एन्जॉय कर पाते हैं।’
– ‘विदेश में जरूर तीनों फॉर्मेट में अलग-अलग कप्तान होते हैं लेकिन भारत में यह सफल नहीं हो सकता।’
– ‘धोनी को इसका एहसास तब हो गया था जब आर.अश्विन, रवींद्र जडेजा और कई खिलाड़ियों ने विराट को सभी फॉर्मेट में कप्तान बनाने की बात कही थी। रवि शास्त्री भी धोनी के क्रिटिक हो गए थे।’